Wednesday, May 12, 2010

ग्राम सचिवालय : एक अभिनव अवधारणा

 बिना प्राणकेंद्र के कोई संरचना नहीं हो सकती है ,यानी प्रत्येक संरचना का प्राण केंद्र अवश्य होता है | संरचना बिधान मे श्रृष्टि की सबसे छोटी इकाई परमाणु है ,जिसका प्राणकेंद्र और उसकी परिक्रमा करते हुए इलेक्ट्रान व प्रोटान परमाणु की पूर्ण संरचना का आभाष देते हैं | इसी तरह सामजिक - राजनीतिक संरचना की सबसे छोटी इकाई होती है ग्राम और ग्राम सचिवालय | प्रधान इस ग्राम सचिवालय का प्राणकेंद्र है और इस प्राणकेंद्र की परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रान व प्रोटान हैं इसके सचिव गण | ग्राम पंचायत विकास अधिकारी प्रधान का मुख्य सचिव होता है | लेखपाल  राजस्व सचिव , सींचपाल सिचाई सचिव , बी एच डब्लू स्वास्थ्य सचिव , पचायत सेवक पंचायत सचिव ,लाइनमैन ऊर्जा सचिव ,प्रधानाचार्य शिक्षा सचिव , कांस्टेबिल सुरक्षा सचिव आदि आदि अनेक सचिव ग्राम सचिवालय के अंग होते हैं जो प्रधान के सचिव के रूप मे कार्यरत होते हैं | यह एक आदर्श स्थिति को दर्शाता है जो कदाचित प्रधान व अधिकांश सचिवों के संज्ञान तक नहीं होता और तदनुसार यह व्यवस्था परिकल्पित ढंग से कार्य नहीं करती है | जब तक सभी घटक सम्यक रूप से इस अवधारणा से नहीं जुड़ेंगे , ग्रामों का यथोचित विकास संभव नहीं होगा और ग्राम सचिवालय की वास्तविक रूप से स्थापना नहीं हो सकेगी |
      यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ग्राम सचिवालय का मुखिया अपने सचिवों के साथ कभी नहीं बैठता और सचिव गण उसे कभी कोई परामर्श व सहायता नहीं देते | अतः सरकार को इस स्वस्थ व्यवस्था को उसके यथार्थ रूप मे लागू करना आवश्यक है ,तभी उपरोक्तानुसार प्राण केन्द्रीय संरचना विधान स्थापित होगा | इससे सबसे प्रारंम्भिक इकाई मजबूत होगी और इससे उच्च ,उच्चतर तथा उच्चतम इकाईयां भी मजबूत होंगी | ग्राम , न्याय पंचायत ,क्षेत्र पंचायत ,जिला पंचायत मे से प्रत्येक इकाई अपने से ऊपर की इकाई की परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रान के समान ही है | इस प्रकार निम्नतर इकाई की मजबूती उच्चतर इकाई को स्वतः मजबूत करेगा | अतयव निम्नतम इकाई को सुदृढ़  आधार प्रदान करना अति आवश्यक है | यह इस इकाई के गठन तथा कार्य प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करके किया जा सकता है | 

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

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