Tuesday, May 11, 2010

स्थानीय रोजगार के अवसर

हमारे गावों  मे रोजगार के अवसर उपलब्ध न होने के कारण यहाँ का श्रमिक घर द्वार छोड़ कर पलायन कर जाता है | यह पलायन करने वाला श्रमिक श्रम समुदाय का मक्खन होता है , जिसके बाहर चले जाने के फलस्वरूप गाँव के हिस्से मे छाछ ही बचता है | जिससे उक्त गाँव के विकास की सम्भावना क्षीण हो जाती है | अतयव इस मक्खन रूपी श्रमिक के पलायन को रोकने तथा नवजवानों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है | स्थानीय स्तर पर उद्द्योग स्थापित करने हेतु कुछ न कुछ कच्चा माल अवश्य उपलब्ध होता है , जिससे रोजगार के समुचित अवसर उत्पन्न किये जा सकते हैं |
            उदाहरण के लिए हम चित्रकूट जनपद को लेते हैं | यहाँ उद्द्योगों का नितांत आभाव है | काफी पहले बर्गड़ मे कांटिनेंटल फ्लोट ग्लास फैक्ट्री लगाई गयी थी , परन्तु अदूरदर्शिता के कारण यह फैक्ट्री एक दिन भी नहीं चल पायी और यह फैक्ट्री आज उजाड़ स्थिति मे खड़ी है , जबकि इसके बिलकुल निकट इसके लिए आवश्यक कच्चा माल सिल्का सैंड प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध है | इस फैक्ट्री को पुनः चालू किया जा सकता है | किसी उत्साही उद्द्योगपति को आमंत्रित करके उसे इस फैक्ट्री को चलाने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है | उसे प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा हर प्रकार की छूट तथा सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए | अतः जनपद मे रोजगार सृजन की दृष्टि से इस ग्लास फैक्ट्री को तत्काल प्रारंभ कराया जाना आवश्यक है |
         यहाँ के जंगलों मे आंवला , महुआ के लाखों लाखों पेंड तथा जडी बूटियाँ पर्याप्त मात्रा मे पायी जाती हैं | अतः आंवला , महुआ तथा जड़ी बूटियों पर आधारित उद्द्योग तो सरलता से स्थापित किये ही जा सकते हैं | इससे हजारों लोगों को तो रोजगार दिया ही जा सकता है | सरकार को इन तीनो क्षेत्रों मे उद्द्योग लगाने हेतु समुचित प्रोत्साहन एवं छूट देकर उद्द्योग पतियों की व्यवस्था करनी होगी | परन्तु इस दिशा मे सरकार को ही पहल करनी होगी |
        बृक्ष लगा कर भी स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है | सीमा रूबा नामक बृक्ष लगाकर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते है | इस पेंड की आयु सौ साल की होती है और पांचवे साल से इससे आमदनी होनी शुरू हो जाती है | सीमा रूबा को वर्षा कराने वाला पेंड (रेन ट्री) भी कहा जाता है  क्योंकि इसके लगाने से वर्षात बढ़ जाती है | इस दृष्टि से भी बुंदेलखंड मे इस बृक्ष का लगाया जाना अति लाभकारी है | सरकार की ओर से इस दिशा मे गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से भी पहल की जानी आवश्यक होगी | सरकार के प्रयासों तथा प्रोत्साहन के फलस्वरूप क्षेत्र वासियों द्वारा भी सीमा रूबा का बृक्ष लगाए जाने का वातावरण तैयार होगा | बन विभाग द्वारा इस बृक्ष का अधिकाधिक रोपण किया जाना चाहिए | पर्यावरण की दृष्टि से भी इस बृक्ष का लगाया जाना बहुत लाभकारी होगा |
         पशुपालन के द्वारा भी रोजगार एवं आमदनी बढ़ाई जा सकती है | ईमू पक्षी के पालन से लोगों विशेषकर गरीबों की आमदनी काफी बढ़ाई जा सकती है | इसके अंडे की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक मांग है | एक अंडे की कीमत २००० रूपये है और यह पक्षी साल मे ३० अंडे देता है | इस प्रकार ईमू पालन से प्रति वर्ष ६०००० रुपये की आय हो सकती है | गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम मे इसे लक्षित वर्ग को देकर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर पहुँचाया जा सकता है | इस कार्यक्रम से काफी बिदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी |
         यह उदाहरण और दृष्टान्त मात्र है | स्थानीय स्तर पर अन्य क्षेत्र व क्रियाकलाप भी हो सकते हैं | अन्य जनपदों मे इसी तरह की संभावना एवम क्षेत्र तलाशें जा सकते हैं |   

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

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