Monday, April 12, 2010

बुंदेलखंड मे जायद खेती:- नयी सोच, असाधारण उपलब्धि

वर्ष 2003  के झाँसी जिलाधिकारी कार्यकाल के दौरान मैंने पाया  कि बुंदेलखंड क्षेत्र में अधिकांश किसानों द्वारा जायद फसल की पैदावार नहीं की जाती थी | इस सन्दर्भ में मैंने जिला कृषि अधिकारी को बुलाकर जायद गोष्ठी आयोजित करने एवं उसमें अधिक से अधिक कृषकों को आमंत्रित किये जाने हेतु निर्देशित किया | उक्त अधिकारी ने घबराते हुए कहा कि झाँसी क्षेत्र मे गर्मियों में पीने तक का पानी नहीं मिलता |  जायद गोष्ठी बुलाये जाने का मेरा दृढ निश्चय था | पत्थर पर दूब उगाने जैसे कठिन काम से मिलने वाली सफलता से ही वास्तविक आनंद मिलता है और इस भावना से मैंने अधिकारीयों कि गोष्ठी बुलाये जाने और तथा प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए |

कृषि विभाग  के अधिकारी क्षेत्र में जायद पैदावार के आंकड़े भी निकाल लाये, जो 3000 हेक्टेयर  था, इस आधार पर मैंने 15 ,000 हेक्टेयर जायद फसल का लक्ष्य निर्धारित किया | अंततः झांसी मे पहली बार जायद गोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसमे बहुत सारे प्रगतिशील किसान आये और उनमे अदम्य उत्साह देखने को मिला | जायद गोष्ठी, रबी एवं खरीफ गोष्ठी से भी अधिक सफल रही और गोष्ठी मे उपस्थित कृषकों ने जायद की अधिकाधिक फसल बोने का संकल्प लिया |

प्रशासन के विशेष निर्देश पर झांसी क्षेत्र की दोनों नहर प्रणालियों तथा लिफ्ट प्रणाली के अधिशाषी अभियंता द्वारा तीनों माइनर पर स्थित 10 -12  गांवों के कृषकों के साथ तीन स्थानीय जायद गोष्ठियां भीं आयोजित की गयी, जिनमे जायद की फसल के लिए तीन माह तक लगातार नहर मे पानी उपलव्ध कराने का आश्वासन दिया गया |  इस हेतु अनेक किसानों को सूखा-राहत योजनाओं से खाद-बीज हेतु अनुदान भी दिलाया गया | नहरों के अलावा सरकारी नलकूपों पर कम से कम 6 हैक्टेयर तथा निजी नलकूपों से सिंचित भूमि पर भी जायद फसल हेतु  किसानों को प्रेरित किया गया |

बुंदेलखंड का किसान बहुत सीधा सादा है और अपने हित की बात को खूब समझता है और बहुत जल्दी स्वीकार भी कर लेता है | पूरे जनपद का किसान अदम्य उत्साह से भरकर जायद अभियान मे जुट गया था, जिसका ही यह परिणाम था कि झांसी जनपद मे 21000 हेक्टेयर जायद बोया गया, जो गत वर्ष से सात गुना अधिक था | इस उपलब्धि से सारे किसानो तथा अधिकारियों के चेहरे खिल गए थे | मीडिया ने भी इस अभियान में सकारात्मक भूमिका निभाकर इसमे बढ़ चढ़ कर योगदान किया |

मेरे लिए इस अभियान का सबसे संतोषजनक अनुभव तब रहा, जब मऊरानीपुर के तहसील दिवस पर मुझसे एक किसान मिला,  उसने न तो कोई प्रार्थना पत्र दिया और न ही कोई फरियाद ही रखी | उसकी एक विचित्र मांग थी कि मै झांसी वापसी के समय रास्ते मे एक मिनट  रुक कर उसकी जायद फसल देख लूं | मुझे उसकी यह मांग बहुत अटपटी लगी पर उत्सुकतावश उस किसान के खेत पर पहुँचने पर मैं आश्चर्यचकित रह गया | उक्त किसान के तीन एकड़ खेत मे भिन्डी तथा लोबिया की बहुत अच्छी एवं लहलहाती फसल खड़ी थी | किसान ने जायद की यह फसल अपने निजी नलकूप से सिंचित भूमि पर उगायी थी | पूछने पर उसने बताया कि उसने न तो जायद गोष्ठी मे भाग लिया था और न ही वह मुझसे कभी मिला ही था | उसने मेरा जायद संबधी विचार अमर उजाला अख़बार मे पढ़कर प्रेरणा प्राप्त कर इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की | वह मेरे जीवन का बड़ा रोमांचकारी पल था |  किसान ने मुझे एक डलिया भिन्डी भी भेंट की, जिसका स्वाद मुझे आज तक याद है |

झांसी जनपद  के इस  उदाहरण ने पूरे बुंदेलखंड और देश के लिए नजीर प्रस्तुत करके दिखा दिया कि यदि किसानों को सही राह, प्रेरणा और सहयोग मिले तो वे कठिन और असंभव कार्यों को भी संभव कर दिखा सकते हैं | ऐसी उपलब्धियों से ही पूरे देश का सर्वागीण विकास होकर जन जन तक खुशहाली पहुँच सकती है |


अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा