Saturday, October 23, 2010

खुद अपने को बचाना : एक घातक कदम

 सामान्यतया लोग असफलताओं, दुर्घटनाओं या गलतियों के लिए स्वयं को कभी दोषी नहीं मानते और अपने प्रति पक्षपाती रवैये के कारण अपने को साफ साफ बचा जाते हैं | प्रत्येक दुर्घटना व गलती होने की स्थिति मे दूसरों पर दोष मढ़ने की प्रवृति प्रायः सबमे दिखाई पड़ती है | यह निःसंदेह अत्यधिक   घातक और अस्वस्थ स्थिति व प्रक्रिया होती है और इससे किसी का भला होने की बिलकुल सम्भावना नहीं होती |

                 वस्तुतः प्रत्येक व्यक्ति का अपने ऊपर ही पूरा- वश होता है और वह अपने बारे मे ही पूरी पूरी जिम्मेदारी ले सकता है | शराब पीकर खतरनाक ढंग से वाहन चलाता हुआ व्यक्ति यदि आप से टकरा जाता है अथवा  अचानक आई खराबी के कारण वह अपने वाहन पर नियंत्रण न रख सकने के कारण दर्घटना कर देता है,  तो ऐसी स्थिति मे हम सभी सामान्यतया उक्त वाहन चालक को दोषी मान बैठते हैं और अपने को इस सम्बन्ध मे दायित्व बोध से पूरा- पूरा मुक्त साबित करते अथवा  समझ लेते हैं | ऐसी सोंच ही दुर्घटनात्मक और अत्यधिक घातक होती है |

              वस्तुतः प्रत्येक दुर्घटना के सन्दर्भ मे हर हाल मे व्यक्ति को दूसरों पर दोषारोपण दोषी समझने के बजाय स्वयं अपने आप को ही दोषी व जिम्मेदार मानना चाहिए कि हमने इस सम्भावना को ध्यान मे रखकर वाहन क्यों नहीं चलाया कि दूसरा वाहन चालक शराब पीकर वाहन चला रहा हो सकता है और  उसके वाहन मे अचानक आई तकनीकी खराबी की सम्भावना के दृष्टिगत रखते हुए  हमें स्वयं सतर्क रहना चाहिए था | अर्थात दूसरे वाहन चालकों की गलतियों के लिए भी स्वयं को ही जिम्मेदार समझना चाहिए | ऐसी भावना और मनोवृति हमें हमेशा दुर्घटनाओं से बचाती रहेगी |

              ऐसी परिस्थियों मे हमें सोचना चाहिए कि हमारा उद्देश्य वाहन चलते समय दुर्घटना से बचना है और यह तभी संभव है,  जब हम प्रत्येक दुर्घटनात्मक परिस्थियों के लिए खुद अपने को ही जिम्मेदार माने और  दूसरों पर दोषारोपण करने की प्रवृति छोड़ें | अन्यथा हम दुर्घटनाओं से नहीं बच सकते | अर्थात वाहन चलाते वक्त विचार करना चाहिए कि हमने क्यों नहीं सोंचा कि अन्य वाहन चालक ने शराब पी रखी हो या उसके वाहन मे अचानक ब्रेक फेल होने जैसी तकनीकी खराबी भी आ गयी हो | इन सभी सम्भावनाओं का पूर्वानुमान करके वाहन चलाने की जिम्मेदारी खुद आपकी अपनी ही है , तभी आप दुर्घटनाओं से बच सकेगें | अच्छा चालक वही है जो प्रत्येक आसन्न या घटित दुर्घटना के लिए दूसरे को दोषी ठहराने के बजाय अपने को ही जिम्मेदार समझता है, क्योंकि दूसरों की गलती का खामियाजा तो आपको ही भुगतना होता है  | ऐसी सोंच वाला व्यक्ति हमेशा दुर्घटना से बचा रहता है और जीवन मे कभी भी दुर्घटना का शिकार नहीं होता |

             दुर्घटना के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों मे भी यह मनोवृति काफी लाभदायक सिद्ध हो सकती है और हम जीवन की अनेकानेक दुर्घटनाओं से बच सकते हैं | ऐसी परिस्थियों मे व्यक्ति दूसरों को उत्तरदायी मानने के बजाय सबसे पहले यदि खुद अपने बारे मे सोंचने लगे कि वह प्रकरण मे कहीं वह स्वयं तो जिम्मेदार नहीं है अथवा वह स्वयं किस अंश तक जिम्मेदार है ? इसके बाद दूसरों की जिम्मेदारी के सम्बन्ध मे विचार करना चाहिए | इस मनोवृति से जीवन की तमाम समस्याएं खेल खेल मे सुलझ जावेंगी और तनाव मुक्त जीवन का लक्ष्य भी प्राप्त करना संभव हो सकेगा |