Saturday, March 27, 2010

तालाब पुनरोद्धार : बुंदेलखंड की संजीवनी

बुंदेलखंड में अनियंत्रित भूमिगत जल दोहन ने जल समस्या को और बढ़ा दिया है |  भूमिगत जल और धरती दोनों का ब्याह न होने पाने के चलते बुंदेलखंड कि धरती का बांझपन बढता जाता है | आज बुंदेलखंडवासी तालाबों तथा वाटर रिचार्जिंग के महत्त्व को भूल गए हैं |  इसी कारण यहाँ नए तालाब बनाने की बात दूर रही, पुराने तालाबों के अस्तित्व को ही लगभग समाप्त कर दिया गया है | तालाबों तथा उसके भीटों पर मकान बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया तथा तालाबो को पाटकर  उनमे खेतीबाड़ी हो रही है | 

ज़मींदारी विनाश तक तालाबों की स्थिति ठीक ठाक  थी परन्तु इसके बाद तालाबों के अस्तित्व पर खतरा आया और आज ज़मींदारी के बाद से आधे से भी कम तालाब रह गए है | आज मकानों के निर्माण व पटान हेतु तालाब की मिटटी न निकालने से तालाबो को गहरा करने का कार्य भी अवरुद्ध है |  गहरे ना होने के कारण तालाब गर्मी से लगभग सूख जाते हैं  और उस समय तो वाटर रिचार्जिंग शून्य हो जाती है और जलस्तर नीचे चले जाने से कुए और हैंडपंप सूख जाते हैं  और पेयजल हेतु हाहाकार मच जाता है | लोगों को कई कई मील दूर जाकर पानी लाना पड़ता है और टेंकर से पानी तक पहुचना पड़ता है |  

इस समस्या का निदान बुंदेलखंड की धरती पर वाटर बॉडी बना कर किया जा सकता है |  यदि प्रत्येक गाँव में दो-दो इतने गहरे तालाब बना दिए जाए जो वर्षा होने तक ना सुखें और उनमे परस्पर पानी भरता रहे तो वाटर रिचार्जिंग निरंतर होती रहेगी |

यह सौभाग्य की बात है की सुप्रीम  कोर्ट ने इस समस्या की गंभीरता को गहराई से समझा और २००१ में हिन्चलाल तिवारी बनाम कमला देवी के मामले में अत्यधिक उपयोगी एवं क्रांतिकारी फैसला दिया कि वाटर रिचार्जिंग की दृष्टि से राज्य सरकारें
तालाबों को उनके मूल स्वरुप में लाने हेतु कदम उठाये | उक्त फैसले में अत्यधिक कठोर निर्देश दिए गए है की यदि तालाबो एवं उसके भीटों पर मकान बनाकर अतिक्रमण कर लिए गए हों उन मामलों में तालाबो को मूल स्वरुप में लाने की कार्यवाही की जाये |
 


  दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति यह है की राज्ये सरकारों द्वारा इस दिशा में कोई परिणामदायक  एवं सार्थक प्रयास नहीं किये गए | सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए आदेश तो जारी कर दिए गए  पर राजनीतिक एवं प्रशासनिक इच्छाशक्ति ना होने के कारण सुप्रीमकोर्ट के आदेशों का अब तक सम्मान नहीं हो पाया है | इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट को ही राज्य सरकारों के प्रयासों की समीक्षा करके अपने अति संवेदनशील एवं अति उपयोगी निर्णय का शत प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने  हेतु अपने स्तर से ही पहल करनी होगी |

उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय को अमली जामा पहनाने हेतु मनरेगा जैसी योजनाओ का प्रभावी उपयोग  किया जाना चाहिए |
उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के अनुपालन के अनुसार जब तक प्रत्येक गाँव में दो तालाब इतने गहरे ना हो जाये की उनमे पूरे समय भरपूर पानी बना रहे तब तक कोई अन्य कार्य न करें नहीं तो इन योजनाओ और भारी भरकम धनराशि का नौकरशाही एवं जन प्रतिनिधियों की मिलीभगत से दुरूपयोग किया जाता रहेगा और क्षेत्र को इन योजनाओ का कोई विशेष लाभ नहीं मिल सकेगा |


अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

1 comment:

  1. सर नमस्कार

    आज आपका ब्लॉग पड़ा . मैं भी इस बात से सहमत हूँ की बुंदेलखंड में तालाबों की स्थिति ठीक नहीं है . आज जागरण में भी चित्रकूट जनपद में मॉडल तालाब बनाने की ओरे प्रयास किये जाने की बात कही गयी है | आशा करता हूँ आपका ये ब्लॉग और ये खबर चित्रकूट में तालाब और पानी की समस्या को दूर करने में पहल का काम करेगी ||

    प्रेम चन्द्र गुप्ता

    राजापुर , चित्रकूट, उ० प्र०

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