Wednesday, March 24, 2010

भगवान राम थे समाज सेवियों के प्रथम पूर्वज

भगवान राम के राज्याभिषेक का समय आ पहुंचा था और भगवान राम ने रामराज्य की अपनी संपूर्ण योजना भी बना रखी थी | राज्याभिषेक से पहले वाली रात्रि में उन्होंने रामराज्य का स्वप्न भी देखा था | परन्तु सुबह होते ही उनका रामराज्य का स्वप्न तात्कालिक तौर पर भंग हो गया और उन्हें राज्याभिषेक के स्थान पर चौदह वर्ष का वनवास मिल गया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया |

भगवान राम का वनवास चित्रकूट (बुंदेलखंड) वासियों के लिए वरदान सिद्ध हो गया | भगवान राम के लिए यह विकल्प था कि वे अपना वनवास आर्यावर्त में कहीं भी जाकर बिताते, परन्तु उन्होंने चित्रकूट में ही अपना वनवास बिताने का निर्णय लिया | इससे यह भी सिद्ध हो जाता है कि चित्रकूट में ख़ास आकर्षण अवश्य रहा होगा, जिसके कारण भगवान राम अन्यत्र जाने के बजाय यहाँ आये, और चित्रकूट को विश्व पटल पर कालातीत बना दिया | इतना ही नहीं उन्होंने चित्रकूट पहुँचकर यह भी सोचा कि चौदह वर्ष के वनवास के दौरान उनकी रामराज्य की योजनाओं का क्या होगा और रामराज्य का स्वप्न तो वह निश्चय ही भूल जायेंगे | अतेव उन्होंने रामराज्य चित्रकूट में ही तत्काल स्थापित करने का संकल्प लिया |

साधनविहीनता कि स्थिति में यहाँ के आदिवासियों / निवासियों के मध्य एक समाज सेवी के रूप में कल्याणकारी कार्य किये, गुप्त गोदावरी जैसे जल स्रोत ढूंढे, शवरी के जूंठे बेर खा कर ऊँच - नीच का भेद मिटाया तथा आततायिओं का नाश करके लोगों को निर्भय होकर सुखद जीवन यापन का अवसर प्रदान किया | कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान राम ने धरती पर सबसे पहले रामराज्य की स्थापना चित्रकूट में ही की थी और इस बात की प्रबल सम्भावना है कि यदि आज भी रामराज्य स्थापित हो सकता है तो सबसे पहले चित्रकूट ही उसका प्रस्थान बिंदु होगा | यह इस बात से भी प्रमाणित होता है कि कोल बालाएं लोक गीतों में अपने को सीता सखियाँ कह कर विलाप करती हैं कि सीता जी आज तुम्हारी सीता सखियाँ बहुत दुखीं हैं और तुम एक बार फिर आकर अपनी सीता सखियों की सुध लेकर उनके दुःख दर्द का निवारण करो |

आज रामनवमी के शुभ अवसर पर बुंदेलखंड वासियों को इस दिशा में संकल्पित एवं एकजुट होकर प्रयासरत होना हैं तभी हम भगवान राम के उस ऋण से मुक्त हो सकते हैं जो उन्होंने साढ़े ग्यारह वर्ष का वनवास चित्रकूट में व्यतीत करके बुंदेलखंड को विश्व विख्यात कर दिया था |

समाज सेवियों को भी भगवान राम का इस दृष्टि से कृतज्ञ होना चाहिए कि भगवान राम समाज सेवियों के प्रथम पूर्वज थे और उनके जन्मदिन पर समाज सेवा एवं प्रतिदान की परंपरा को आगे बढाकर बुंदेलखंड के नव निर्माण का माध्यम बनें |

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह के द्वारा

2 comments:

  1. सर आपने झाँसी और चित्रकूट के विकास कार्य में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है और मैं आशा करता हूँ कि आपकी ये पहल बुंदेलखंड के रूपांतरण अतुलनीय एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.


    ज्ञान सिंह
    मोंठ झाँसी

    ReplyDelete
  2. Sir, Your thoughts are really inspiring, your contributions for Bundelkhand for making fearless society are milestones.

    Being the Bundelkhand resident I would request you to consider Bundelkhand again as your "KARMBHOOMI".


    S K Dixit
    Managing Director
    Creative Robotics Pvt Ltd

    ReplyDelete