Thursday, March 25, 2010

विश्व जल दिवस: बुंदेलखंड में जल संकट एवं समाधान

दिनांक २२ मार्च २०१० को विश्व जल दिवस था इस अवसर पर बुंदेलखंड का सबसे बड़ा दर्द सामने आकर खड़ा हो गया। बुंदेलखंड में अनेक समस्याएं हैं परन्तु मुख्य समस्या गरीबी और पिछड़ापन है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होने से जल संकट अधिकांश समस्यायों का केंद्र बिंदु है और वर्षा जल संचयन इसका सबसे प्रभावी समाधान है। बुंदेलखंड में भूमिगत जल स्तर बड़ी रफ़्तार से नीचे जा रहा है। भूमिगत जल स्तर के वर्षा जल से मिलन की साध कभी पूरी नहीं हो पाती है । बुंदेलखंड की भौगोलिक बनावट के कारण तेज रफ़्तार से वर्षा के दौरान बारिश का पानी नदियों के बेसिन में समां जाता है और जमीन में कुछ इंच अथवा फीट तक ही पानी पहुँच पाता है । इस स्थिति के कारण जल स्तर तो नीचे चला ही जाता है और बुंदेलखंड के दुर्भाग्य को बढ़ा देता है, यही बुंदेलखंड की सबसे बड़ी समस्या है जिसका हल ढूँढना बहुत आवश्यक है ।

बुंदेलखंड वासियों के लिए ये सबसे बड़ी दुखद स्तिथि है कि वे अपनी अगली पीढ़ी को जल संकट और सूखे की विरासत सौंप रहे हैं | क्या हम इस जिम्मेदारी को नकार सकेंगे और सरकार का मुंह देखते हुए अपने कर्तव्य बोध पर ध्यान नहीं देंगें | जब तक बुंदेलखंड वासी इससे अपनी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी व प्राथमिकता नहीं समझेंगें तब तक दुर्भाग्य का यह दौर निरंतर चलता रहेगा | चूंकि यहाँ प्रश्न अगली पीढ़ी को अच्छी विरासत सौंपने का है, बुंदेलखंड वासियों को इस मुहिम को अपना निजी दायित्व समझना होगा और यदि वे संकल्पवद्ध हो कर प्रयास करते हैं तो कोई कारण नहीं कि आल्हा ऊदल के वंशज सफल न हो सकें |

बुंदेलखंड में लोगों को पूरे समय का रोजगार नहीं मिलता और लगभग छः माह खाली रहते हैं | यदि हर परिवार छः दिन का श्रम दान करता है तो हर गाँव में एक तालाब इतना गहरा अवश्य खुद जायेगा कि उसमे अगली वर्षा होने तक पानी भरा रहे | ये तो शुरुआत है और इससे बुंदेलखंड के लोगों को अपने दायित्व बोध से जोड़ना होगा | सरकार को भी नरेगा एवं अन्य योजनाओं को जल संकट समाधान के प्रभावी क़दमों से जोड़ना होगा । सरकार और जनता के सम्मिलित प्रयास, जल संकट के दुर्भाग्य को खुशहाली और हरियाली में बदल सकतें हैं और जरुरत है एक प्रभावी आवाज़ और निर्णायक कदम की।

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

1 comment:

  1. श्री सिंह का चित्रकूट और झाँसी के जिलाधिकारी का कार्यकाल उपलब्धिपूर्ण रहा है.
    उनके कार्यकाल में चित्रकूट जिले में एक साल के अन्दर १०० तालाबों का पुनुरोध्हर हुआ . ऐसे जागरूक लोग रेतिरेमेंट के बाद भी दिशा देकर बुंदेलखंड में रूपांतरण का प्रयास कर रहे हैं और हम सब उनका हार्दिक अभिनन्दन करतें है .


    सुरेश रायकवार

    अतर्रा, जिला- बांदा

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