Monday, May 17, 2010

बुंदेलखंड मे जैविक खेती

वर्तमान में जैविक खेती सभी स्तरों पर चर्चा का विषय बनी हुई है और इस क्षेत्र मे थोड़ा बहुत काम भी चल रहा है| पर इस दिशा मे विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने तथा प्रचार-प्रसार की बहुत जरुरत है| बुंदेलखंड मे जैविक खेती की सार्थकता अन्य क्षेत्रों से अपेक्षाकृत अधिक है और यहाँ छुटपुट रूप से प्रचलित भी है| झाँसी मे अपने जिलाधिकारी के कार्यकाल के दौरान मुझे जानकारी मिली थी कि बबीना क्षेत्र के किसी गाँव (नाम याद नहीं) मे जैविक खेती हो रही है | झाँसी मेडिकल कालेज, बुंदेलखंड विश्वविद्द्यालय व झाँसी में स्थित इंजीनियरिंग कालेज के प्राध्यापक जैविक खेती वाले इस गाँव मे पहुँच कर किसानो के जैविक अनाज को बड़ी कीमत पर खरीद कर अपनी गाड़ियों मे ले आते थे | इससे किसानो को अपने जैविक अनाज का ड्योढ़ा दूना मूल्य मिल रहा था | इस घटना से प्रभावित होकर मैंने झाँसी के प्रत्येक ब्लाक के कम से कम एक गाँव मे जैविक खेती अपनाने हेतु किसानो को प्रेरित करके उसे जैविक गाँव घोषित कराये जाने का अभियान चलाया था|

मेरे एक आई.ए.एस. अधिकारी मित्र के बीमार पिता को देखने अस्पताल जाने पर मुझे पता चला था कि उनके पिताजी बहुत ही नियमित और संयमी जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति थे| अतयव वह बहुत दुखी थे कि ऐसी जीवन शैली अपनाने के बावजूद उन्हें ब्लड कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी कैसे हुई? उन्होंने गहन चिंतन के उपरांत पहुंचे अपने निष्कर्ष से मुझे इस प्रकार अवगत कराया था कि अनाज के साथ अंग्रेजी खादें और कीटनाशक दवाएं उनके शरीर मे पहुँचाने के कारण उन्हें कैसर हुआ था | वह एक महान वैद्य भी थे | मेरी मुलाकात के दो दिन बाद ही वह दिवंगत हो गए थे | मुझे उनके कथन पर पूर्ण विश्वास है और मेरा यह दृढ मत है कि आज की बड़ी-बड़ी और खतरनाक बीमारियाँ आज उपजाए जा रहे दूषित अनाजो के कारण हैं | यदि हम जैविक अन्न खाते हैं तो हम तमाम खतरनाक बीमारियों से बचे रह सकते हैं | उन्होंने मरने से पहले अपने बेटे को अपनी अंतिम इच्छा बताई थी कि वह जैविक खेती व जैविक अन्न के क्षेत्र में काम को अवश्य करें | उनके आई.ए.एस बेटे ने उनकी इच्छा को सम्मान देते हुए आई.ए.एस की नौकरी छोड़ कर जैविक खेती और जैविक अनाज को लोगों तक पहुंचाने के काम को पूरी ईमानदारी से करना शुरू कर दिया |
      उपरोक्तानुसार परिस्थियों मे पूरे देश को मिलकर देश के किसानो को राज़ी एवं प्रेरित करके जैविक खेती के पक्ष मे वातावरण एवं परिवेश बनना चाहिए, क्योंकि मनुष्य के जीवन एवं स्वास्थ्य से ज्यादा मूल्यवान कुछ भी नहीं है | सरकारों, कृषि विभागों एवं वैज्ञानिकों को देश एवं लोकहित मे इस दिशा मे भरपूर प्रयास करना चाहिए | बुंदेलखंड मे जैविक खेती का वातावरण बना बनाया है, क्योंकि यहाँ सिचाई के साधनों की कमी है | कम सिचाई से जैविक खेती अच्छी तरह हो सकती है | अनआर्गनिक खेती कम सिचाई से संभव नहीं होती | अतः बुंदेलखंड यदि चाहे तो जैविक खेती करके पूरे उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य की रक्षा का बीड़ा उठा सकता है |
      सरकार भी कदाचित बुंदेलखंड मे जैविक खेती के महत्त्व को समझ गई है और राज्य स्तर पर बुंदेलखंड के लिए एक जैविक कृषि बोर्ड बनाया गया है | जिसमे कदाचित 500 करोंड़ धनराशि की व्यवस्था है, परन्तु इस योजना का कहीं भी कोई प्रचार-प्रसार नहीं है | इससे इस बात का भय लगता है कि कहीं यह योजना भी अन्य योजनाओं की तरह कागजी तो नहीं है | इसके साथ सरकार की इच्छाशक्ति होती नहीं नज़र आती | अतयव कृषको, जनता एवं स्वयं सेवी संस्थाओं को मिलकर इस दिशा मे कमर कसनी  होगा |

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

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