चित्रकूट मे रमि रहे रहिमन अवध नरेश के मूलमंत्र को धारण करना चित्रकूट मे रहने व कार्य करने के लिए अत्यावश्यक है | यहाँ रमने अर्थात समर्पित भाव से कार्य करने वाला व्यक्ति ही सफलता की मंजिल पा सकता है और कालांतर मे चित्रकूट के इतिहास मे स्थान पा पाता है | यहाँ रमने वालों मे राम, सीता, लक्ष्मण, अत्रि, अनुसूया, वाल्मीकि, तुलसीदास, रहीम आदि हैं | आज नानाजी देशमुख का नाम भी इस धरती से जुड़ गया है |
उक्त मूलमंत्र से ही प्रेरित होकर मैंने भी समर्पित भाव से लगभग 6 वर्ष चित्रकूट और झाँसी मे कार्य किया है | कदाचित इसी कारण मुझे भी कुछ अच्छे परिणाम देखने एवं यश प्राप्त करने का अवसर मिला था | मै बुंदेलखंड की आत्मा का संस्पर्श कर बुंदेलखंड को थोड़ा बहुत समझ सका हूँ | मै जहाँ तक समझ सका हूँ, बुंदेलखंड अत्यधिक समस्याग्रस्त्र एवं बीमार हालत मे है | अतः आवश्यक है कि इसकी सारी बीमारियों की पहचान करके इसका समुचित इलाज किया जाए | एक बीमार को केवल यही ज्ञात होता है कि उसे तकलीफ कहाँ है? किन्तु उसे यह नहीं पाता होता कि उसकी बीमारी क्या है | जब उक्त बीमार डाक्टर के पास जाता है, तब उसे पता चलता है कि उसकी बीमारी का नाम क्या है और उसको क्या दवा देनी है |
बुंदेलखंड भी काफी बीमार स्थिति मे है और इसके लिए सोशल पैथेलोजिस्ट एवं सोशल डाक्टर की जरुरत है | बुंदेलखंड की थोड़ी बहुत समझ रखने के कारण मै इस दिशा मे शायद कुछ काम कर सकूँ | मेरा यह मानना है कि सबसे पहले यहाँ के निवासियों की सोंच को बदला जाये और तात्कालिक महत्त्व के कार्यों को भी साथ साथ लिया जाये | फिर यहाँ के लोगों के कंधे से कन्धा मिलाकर विद्यमान बीमारियों से मुक्ति प्राप्त करके स्वस्थ परिवेश मे विकास की सामान्य धारा मे आकर तेज गति से आगे बढा जाये |
उपरोक्त परिवेश मे ही मैंने रामनवमी से ब्लाग लिखना शुरू किया, ताकि यहाँ के निवासियों से संवाद स्थापित करके हम सभी एक साथ चलकर बुंदेलखंड के विकास यात्रा की अपनी वांछित मंजिल पा सकें | समस्या को साधारण करके अभी कुछेक उपाय ही सुझा रहां हूँ | अतयव सभी बुद्धिजीवियों, विद्वानों, विषय विशेषज्ञों तथा अनुभवी लोगों के सुझाओं एवं विचारों का स्वागत करूँगा |
अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा
No comments:
Post a Comment