एक समय एशिया की सबे बड़ी पेयजल योजना के रूप मे जानी जाने वाली पाठा पेयजल योजना भी पूरे पाठा क्षेत्र की प्यास नहीं बुझा सकी है | इस योजना मे सामिल काफी गाँव इससे तनिक भी लाभान्वित नहीं हुए हैं | काफी गावों मे पाइप भी बिछाया गया था , पर जब इन गाँव मे कभी पानी नहीं पहुँचा तो गाँव तथा विभाग वालो ने चोरी करके पाइप लाइन ही उखाड़ ली ,जिसके चलते उन गावों मे पानी पहुँचने की संभावना ही समाप्त हो गयी | यह योजना काफी पुरानी हो गयी है , इसके नलकूपों की क्षमता मे काफी कमी आ गयी है और योजनान्तर्गत मशीने भी काफी जर्जर हो गयी है | अतयव क्षेत्र के लिए सबसे अधिक उपयोगी पाठा जलकल योजना का पुनर्गठन एवं बिस्तारीकरण अत्यावश्यक है | योजना से उन गावों को भी लाभान्वित किया जाना चाहिए जो पाइप उखाड़ने आदि कारणों से इस योजना के लाभों से बंचित रह गए हैं | सर्बाधिक लाभकारी इस योजना मे धन की कमी नहीं होनी चाहिए |
भूमिगत जलखोजी विभागों द्वारा खोदे गए कई टेस्ट नलकूप अप्रयुक्त पड़े हुए हैं , जबकि उनमे पर्याप्त जल उपलब्ध है | उनका उपयोग कर उनसे कई गावों को पेयजल मुहय्या कराया जा सकता है | ऐसे कई टेस्ट नलकूपों की तलाश कर उनका उपयोग कर कई गाँव पहले भी लाभान्वित कराये जा चुके है | बिजली की कमी के कारण भी योजना का पूरा पूरा लाभ नहीं मिल पाता है | अतः इस दिशा मे बिचार कर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है |
गर्मी मे अचानक यह सूचना मिलती है कि अमुक गाँव के सारे कुएं सूख गए हैं , पर कुओं मे जलस्तर नीचे जाने की प्रवृति काफी दिनों से चल रही होगी| यदि ऐसे प्रत्येक गाँव ,जहाँ कुएं सूख जाते हैं ,के जलस्तर नीचे जाने की प्रतिदिन की मानिटरिंन की जाती तो अचानक सभी कुओं के सूख जाने की स्थितियों से बचा जा सकता था | इस प्रकार के दैनिक अनुश्रवण की जिम्मेदारी स्वयंसेवी संगठनो को भी सौंपी जा सकती है | सूखते जा रहे कुओं मे एक एक करके ब्लास्टिंग करके उनकी गहराई बढ़ाई जा सकती है | इस प्रकार यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि गाँव के सारे कुएं एक साथ न सूखने पायें | इस प्रकार की सतर्क दृष्टि रख कर कार्यवाही करने से यह तो सुनिश्चित ही किया जा सकता है कि किसी गाँव मे बाहर से पानी लाने की नौबत न आये | हैंडपंप के सन्दर्भ मे भी इसी प्रकार की कार्यवाही की जानी चाहिए |
बुंदेलखंड मे अनेक प्राकृतिक जलश्रोत हैं , जिनका विवेकपूर्ण उपयोग तो किया जाना चाहिए , उनके संरक्षण एवं दुरूपयोग पर सतर्क दृष्टि भी रखी जानी चाहिए | चित्रकूट जनपद मे गुन्ता बाँध एवं रसिन बाँध प्राकृतिक जलश्रोतों के उदहारण हैं | इस तरह के बहुत सारे जल श्रोत हैं | अनुसूया पहाड़ से निकले जलश्रोतों से मन्दाकिनी नदी बनी है | अनुसूया आश्रम मे हुए बेतहाशा निर्माण से प्राकृतिक जलश्रोत अवरुद्ध हो रहा है और मन्दाकिनी नदी , जो कि गंगा नदी की तरह चित्रकूट की प्राणधारा है , के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है | चित्रकूट के श्रद्धालुओ तथा सरकार को बिचार कर कठोर कदम उठाने चाहिए | मन्दाकिनी की सफाई से जरुरी है मन्दाकिनी के अस्तित्व की रक्षा करना |
गर्मिओं मे पशुओं के लिए पानी पीने की समस्या और गंभीर होती है | वे इस हेतु आवाज नहीं उठा सकते | अतयव उनके बारे मे हमें ही बिचार करके व्यवस्था करनी होंगी| ऐसे समस्त समस्याग्रस्त गावों मे किसी बड़े पेंड की छाया मे चरही बनवाना लाभदायक होगा |
अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा
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