उपरोक्त पृष्ठिभूमि मे बुंदेलखंड के पिछड़ेपन के कारणों एवं उपायों के सम्बन्ध मे गंभीरतापूर्वक विचार करना बहुत आवश्यक हो गया है | बुंदेलखंड मे उत्तर प्रदेश का झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, महोबा, चित्रकूट जनपद तथा मध्य प्रदेश का दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सागर, दमोह, कटनी जनपद, सतना जनपद का चित्रकूट विधान सभा क्षेत्र, गुना जनपद का चंदेरी विधान सभा क्षेत्र, शिवपुरी जनपद का पिछोर विधान सभा क्षेत्र, भिंड जनपद का लहर विधान सभा क्षेत्र, नरसिंह जनपद की गाडरवाला तहसील, विदिशा, साँची, गंज बासौदा क्षेत्र आता है | यह एक निर्विवाद सत्य है कि बुंदेलखंड का विकास तभी संभव हो सकता है, जब पूरी ईमानदारी तथा निष्ठांपूर्वक बुंदेलखंड क्षेत्र की विशिष्ट समस्याओं की पहचान करके उनका समाधान ढूंढने का प्रयास किया जाय | यह तभी संभव हो सकता है, जब उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश से अलग करके बुंदेलखंड राज्य गठित किया जाये और बुंदेलखंड राज्य की धरती पर बैठ कर इस क्षेत्र की समस्याओं की पहचान कर उनके समाधान की योजना बनाकर बुंदेलखंड के लोगों द्वारा ही सम्पादित किया जाय | तभी इस क्षेत्र के बिपुल संसाधनों का उपयोग करके बुंदेलखंड के लोगों का कल्याण करना संभव हो सकेगा | अभी तक भिन्न आर्थिक-सामाजिक-भौगोलिक परिवेश(लखनऊ-भोपाल) से बुंदेलखंड वासियों के लिए योजना विरचन तथा कार्यान्वयन सम्बन्धी कार्य सम्पादित किये जा रहे हैं | इसी दोष पूर्ण कार्य पद्धति के कारण ही आजादी के ६३ वर्ष तक बुंदेलखंड पिछड़ा का पिछड़ा बना हुआ है और जन अपेक्षाएं निरंतर उपेक्षित हो रही हैं | अतयव बुंदेलखंड की वर्तमान स्थिति को आगे भी अनंत काल तक बनाये रखना औचित्य पूर्ण नही प्रतीत होता है और न ही इस क्षेत्र की जनता ही यह बर्दास्त करेगी |
उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य मे ही कदाचित बुंदेलखंड आज दोनों राज्यों व केंद्र सरकारों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बन गया है, जो एक दूसरे से आगे बढकर बुंदेलखंड के विकास की बातें कर रही हैं और काफी धनराशियाँ भी आबंटित कर रही है, पर दूरस्थ प्रणाली द्वारा संचालित होने के कारण इन विकास परक प्रयासों का लाभ न तो बुंदेलखंड को मिल पा रहा है और न ही बुंदेलखंड की धरती पर इसका कोई सकारात्मक प्रभाव ही परिलक्षित हो रहा है |
देश मे बुंदेलखंड की ही तरह उपेक्षित व पिछड़े क्षेत्रों को अलग करके उत्तराँचल, छत्तीस गढ़, झारखण्ड आदि राज्य बनाये गए हैं | जिसका अत्यधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है | नये राज्यों के बनने के बाद वहां के निवासियों मे अदम्य उत्साह का संचरण हुआ है | इन राज्यों का विकास कई कई गुना बढ गया है और वे अपने पुराने पैत्रिक प्रान्त को विकास की दौड़ मे काफी पीछे छोड़ कर काफी आगे बढ गए हैं | इसका मुख्य कारण अपने राज्य की धरती पर बैठ कर वास्तविक जरूरतों और समस्याओं की पहचान कर सम्यक योजना विरचन एवं कार्यान्वयन द्वारा अपना विकास करना रहा है | अलग राज्य बनने के पश्चात् इन राज्यों के निवासियों मे निजता और आत्म निर्णय का भाव पैदा हुआ है और सभी मिलकर अपने अपने प्रदेशों को तेजी के साथ आगे बढ़ने की ओर चल पड़े हैं |
बुंदेलखंड की एक विशेष बात यह भी है कि बुंदेलखंड का भूभाग उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के अंतर्गत आता है | अतयव दोनों प्रदेशों द्वारा समान समस्याओं के सन्दर्भ मे समान, समन्वित व एकीकृत प्रयास नही हो पाता है | इसके अलावा यह भी ध्रुव सत्य है कि अनेकानेक कारणों से दोनों प्रान्त सरकारें यह नहीं चाहती कि उनका कोई अंश उनसे अलग हो | यह भी सही है कि बन व खनिज सम्पदा की दृष्टि से मध्य प्रदेश स्थित बुंदेलखंड अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध है | अतयव बुंदेलखंड के बृहत्तर एकीकरण के फलस्वरूप सम्पूर्ण बुंदेलखंड का सही मायने मे विकास संभव हो सकेगा और संसाधनों की कमी बाधक नही साबित होगी | तब हम देखेंगे कि देश के अन्य नव सृजित प्रदेशों की भांति बुंदेलखंड के लोग भी हीन भावना से उबरकर स्वाभिमान और निजता के भाव से अपना व क्षेत्र का विकास कर सकेगे |
बुंदेलखंड के अलग प्रान्त की मांग करने वाले कई संगठन/ संस्थाएं एतदर्थ कार्य कर रही हैं, उनके प्रयासों मे एकरूपता, समन्वय व परस्पर सहयोग का अभाव देखने मे आ रहा है | अतयव यह आवश्यक प्रतीत होता है कि इस दिशा मे क्रियाशील समस्त संगठन/ संस्थाओं/ व्यक्तियों को चाहिए के वे अपने अहम् को तिलाजली देकर समन्वित, एकीकृत एवं सहयोगात्मक प्रयास करना चाहिए | तभी इस वृहत्तर लक्ष्य को शीघ्रतापूर्वक प्राप्त करना संभव हो सकता है और यही बुंदेलखंड के हित मे है |
अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा