Saturday, April 10, 2010

अनियंत्रित खनन से बुंदेलखंड के अस्तित्व को खतरा

चित्र यानि हरयाली और कूट यानि पहाड़ के कारण ही चित्रकूट की  सामयिकता है और संप्रति अनियंत्रित और अवैध खनन से, चित्रकूट के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है | पहाड़ों पर हो रहे अनियंत्रित खनन कार्य से कूट यानी पहाड़ तो नष्ट हो ही रहे हैं , चित्र यानी हरियाली और वनस्पति भी नष्टप्राय हो रही है |जहां तेंदू पत्ता के पेड़ होते हैं, केवल वहीँ हरियाली में देखने को मिलती हैं शेष ९५% पेड़ों की पत्तियां तेज गर्मी से  लगभग जल सी जाती हैं और पूरी धरती बंज़र और जली जली सी लगती है |
जून 1998 में इलाहाबाद से चित्रकूट आते समय मुझे  भौंरी गाँव  में 50 फीट लम्बा और 50 फीट चौड़ा पहाड़ इस तरह दिखाई पड़ा जैसे पहाड़ को ही  तरबूज को आधा स्लाइस कर दिया गया  हो | इस हिस्से से सारे पेड़ गिर गए थे, जबकि उसके अगल बगल में काफी पेड़ खड़े थे, गहन पूछताछ पर पता चला की खनन ठेकेदार ने उक्त पहाड़ पर २-३ दिन पहले  डायनामाइट  लगाया था, जिससे पहाड़ पर आसानी से खुदाई करके उसमे से पत्थर की पटिया खनन ठेकेदार निकाल सकें | पहाड़ की यह दुर्दशा देख मुझे अपार कष्ट हुआ और   बुंदेलखंड  के अस्तित्व की रक्षा के लिए बिना सुनवाई का अवसर दिए पहाड़ों पर स्वीकृत सारे खनन पट्टे निरस्त कर दिए | खनन पट्टेदारों को यह भी विकल्प दिया गया कि उन तमाम समतल स्थानों, जहाँ पत्थर उपलव्ध हैं, खनन पट्टा लेकर खुदाई करें, क्योंकि इससे क्षेत्र के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं होगा ऐसा करने से तमाम जलाशय यानि वाटर बाडीज बन जाएगी जो इस क्षेत्र की वाटर रिचार्जिंग के लिए बहुत अधिक उपयोगी होगा |
 उक्त निरस्तीकरण आदेश के खिलाफ सभी खनन पट्टेदारों ने एकजुट एवं लामबंद होकर साम-दाम-दंड का रास्ता अपनाया और असफल होने पर जनप्रतिनिधियों का सहारा लेकर आंदोंलन रत हुए | मुझे अपने पूरे सेवाकाल मे इस प्रकरण मे सर्वाधिक राजनीतिक दबाव झेलना पड़ा था | पर मेरे एकमात्र प्रश्न की जब मनुष्य पहाड़ नहीं बना सकता तो उसे पहाड़ को नष्ट का अधिकार कैसे हो सकता है, से सभी निरुत्तर हो जाते थें | अंततः मामला माननीय सभी उच्च न्यायालय के समक्ष पंहुचा, किन्तु जिलाधिकारी के निर्णय से  पारिस्थितकी लाभ को देखते हुए खनन पट्टेदारों को न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली | 

यही स्थिति पूरे बुंदेलखंड की है  भरतकूप, महोबा मे कबरई तथा झाँसी, ललितपुर आदि अन्य स्थानों के पहाड़ बिलकुल नष्ट हों गएँ हैं, जिन्हें देखकर प्रत्येक सहृदय व्यक्ति को रोना आ जाता है
पहाड़ों के नष्ट होबे से धरती का संतुलन बिगड़ जाता है और हम भूकंप आदि प्राकृतिक आपदावों को निमंत्रित कर लेते हैं | डायनामाइट लगाने से पूरा पहाड़ दरक और हिल जाता है और तमाम पेड़ धराशायी हो जाते हैं | पहाड़ों की मिटटी डायनामाइट विस्फोट के बाद काफी नरम एवं भुरभुरी हो जाती है और अगली बरसातों मे बड़े पैमाने पर भूक्षरण होता है, जिससे तमाम वृक्ष उखड़कर गिर जातें हैं |
अतः बुंदेलखंड के पहाड़ों पर खनन कार्य अबिलम्ब बंद कराया जाना अति आवश्यक है | किन्तु राजनीतिज्ञ ,  नौकरशाह एवं खनन माफिया का गठजोर ऐसे किसी भी प्रयास के खिलाफ लामबंद हो जाते है | आज खनन कार्य सरकार और नौकरशाहों के लिए सबसे अधिक मलाईदार कार्य है अतः उनसे इस सम्बन्ध मे कोई उम्मीद रखना बेमानी है |

खनन के समर्थन में बहुत सारे तर्क दिए जाते हैं जैसे इससे निकली मिटटी और पत्थरों से देश का ढांचागत निर्माण होता है और खनन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार मिलते हैं पर यथार्थ में स्थिति बिल्कुल भिन्न है | थोड़े से कानूनी पट्टे लेकर माफिया द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जाता है जिससे सरकारी राजस्व को भारी क्षति होती है | माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रेड्डी बंधुओं की बेल्लारी स्थित खानों पर खनन  प्रतिबन्ध और अतिक्रमण की जांच ऐसा ही एक उदाहरण  है | पर इस पिछड़े क्षेत्र की इस  लूट में नेता, प्रशासन, खनन माफिया का गठजोड़ सारे तंत्र को ठेंगा दिखाकर बुंदेलखंड क्षेत्र की धरती को नेस्तनाबूद करने पर तुले हुए है |

खनन क्षेत्र द्वारा बड़े पैमाने पर रोजगार की बात भी बड़ी विचित्र है | इस क्षेत्र में बंधुआ मजदूरी बड़ी व्यापक रूप में फैली है और न्यूनतम श्रम कानूनों का भी पालन नहीं होता और माफिया द्वारा मजदूरों का हर तरह से शोषण होता है | अवैध एवं अवैज्ञानिक खनन से मजदूरों के स्वाथ्य को भारी क्षति पहुँचती है और उनके स्वास्थ्यगत सुविधायों के लिए कोई प्रावधान नहीं होता है इस प्रकार से खनन क्षेत्र द्वारा रोजगार की धारणा पूर्णतया भ्रामक और गलत है |

ढांचागत विकास में गिट्टी और पत्थर का उपयोग बुंदेलखंड से बाहर के क्षेत्र विशेषतया विकसित राज्यों के लिए होता है और इस अवैध खनन से निर्माण कम्पनियों को सस्ता माल और भारी मुनाफ़ा मिलता है| ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा भारत के कच्चे माल से इंग्लैंड के सूती मिल उद्योग का विकास और बुंदेलखंड के अवैध खनन से दुसरे राज्यों के विकास की तुलना आप्रसंगिक नहीं होगी |
पिछड़े  एवं गरीब क्षेत्र में हो रहे इस खतरनाक खेल को बंद करने की जिम्मेदारी हम सभी जागरूक नागरिकों की है और माननीय न्याय पालिका से ही किसी राहत  की उम्मीद की जा सकती है वरना बुंदेलखंड के खनन माफिया रत्नगर्भा धरती को बर्बाद और बेहाल कर देंगे |

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

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