Thursday, July 22, 2010

राजनीति और धन की वापसी ; समस्या का स्थायी समाधान

व्यक्ति ,समाज तथा देश की अधिकांश समस्याएं राजनीति और धन के अत्यधिक प्रभाव व वर्चस्व के कारण है | साधन के रूप मे इन दोनों की जरुरत अवस्य है , पर आज धन व राजनीति का वर्चस्व अत्यधिक बढ़ गया है और दोनों साधन से साध्य बनकर प्रत्येक क्षेत्र मे बुराइयाँ व समस्याएं ही  उत्पन्न कर रहें हैं | इससे आम आदमी तथा किसान सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है और किंकर्तव्यमूढ़ बना हुआ है | वह आज महगाई से सर्बाधिक प्रभावित  तथा त्रस्त है और इस किसान व आम आदमी को महगाई से राहत दिलाना मेरा विशेष प्रयोजन है | वस्तुतः महगाई को बढ़ाने मे यही धन व राजनीति ही मुख्यतया जिम्मेदार है | अतयव महगाई और अधिकांश समस्याओं का समाधान पाने के लिए धन व राजनीति के प्रभाव को कम करने तथा इनकी साध्य से साधन के स्तर तक वापसी अत्यावश्यक है | 
      बढ़ते मुद्रा प्रसार ,नकली नोटों का बड़े पैमाने पर प्रचलन , काले धन की सामानांतर अर्थ व्यवस्था ,गलत आर्थिक नीतियाँ ,गैर ज़िम्मेदाराना राजनीतिक बयानबाजियां तथा शासको के अहम् व सनक भरी योजनाओं का कार्यान्वयन महगाई बढ़ाने वाले प्रमुख कारक सिद्ध हो रहे हैं | महगाई का कोई खास असर अमीरों पर नहीं होने के कारण वे तत्क्रम मे उदासीन रहते हैं | महगाई से सबसे ज्यादा परेशान आम आदमी और किसान असंगठित होने के कारण महगाई के बिरुद्ध एकजुट होकर अपना विरोध दर्ज नहीं करा पाते | विपक्ष द्वारा महगाई को सरकार के विरुद्ध प्रयोग किया जाने वाला केवल एक हथियार ही समझा जाता है | जिसके कारण महगाई निरन्तर बढती जा रही है और इस पर नियंत्रण किये जाने के विषय मे कोई कारगर एवं परिणामदायक उपाय नहीं हो रहे है | इसी कारण महगाई सर्बाधिक चिंता का विषय बनी हुई है | 
       आम आदमी और किसान हमारी प्राथमिकता का केंद्र बिंदु होने के कारण सर्बप्रथम हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेते हैं | अभी तक सरकारे अमीन के माध्यम से लगान नगद वसूलती हैं और छोटे किसानो को लगान से छुट दी जाती है | ग्रामीण क्षेत्रों मे सीलिंग भी लागू है और किसानो को एक  निश्चित सीमा से अधिक भूमि रखने पर पाबन्दी है ,पर खेत के सदुपयोग न करने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है | सीलिंग का यह तरीका सही नहीं है | सीलिंग मे अधिकतम भूमि रखने की सीमा रखने के बजाय प्रति मानक बीघा न्यूनतम उत्पादन करने का प्रतिबन्ध लगाया जाना अधिक उचित है | इसका परिणाम यह होगा कि न्यूनतम उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु कृषि उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने का एक स्वाभाविक वातावरण बनेगा और सकल कृषि उत्पादन मे बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना होगी | इससे सीलिंग को एक कारगर एवं तर्कसंगत आधार मिल सकेगा ,क्योकि जो न्यूनतम उत्पादन नहीं करेगा ,उसकी कृषि भूमि सरकार द्वारा अपने कब्जे मे लेकर भूमिहीनों तथा खेतिहर मजदूरो मे बाँट दी जावेगी और खेतो पर वास्तविक किसानो का ही कब्ज़ा होगा | जब प्रति मानक बीघा न्यूनतम उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित हो जावेगा तो लगान व गल्ला वसूली भी उक्त आधार पर आसानी से हो सकेगी जो सामान्यतया न्यूनतम उत्पादन १० प्रतिशत होगा बिना किसी भेदभाव के सभी किसानो से वसूल किया जावेगा | इस प्रकार लगान तथा गल्ला वसूली स्वतः हो जाएगी | इस वसूल किये गए गल्ले से लगान सहित अन्य सरकारी देयों का समायोजन करने के बाद जो धन देय होगा उसे नकद न देकर खाद बीज आदि निवेश प्राप्त करने हेतु कूपन दे दिया जावेगा | इसके बाद का अवशेष नकद भुगतान कर दिया जावेगा | मानक बीघा का न्यूनतम उपज निर्धारण ,बोये गए फसल का व्योरा तैयार करने सहित लगान व गल्ला वसूली तथा गल्ले का भण्डारण आदि कार्य सरकारी कर्मचारियों के बजाय गाँव के ही एक ठेकेदार द्वारा किये जायेगे | इसके लिए इसे १ या २ प्रतिशत कमीशन भी दिया जावेगा | यह गाँव का सबसे महत्वपूर्ण व इमानदार व्यक्ति होगा | अतयव इसी व्यक्ति को ग्राम स्तर का राजनीतिक अधिकार भी सौंप दिया जावेगा | ऐसी स्थिति मे प्रधान का अलग से चुनाव कराने की आवश्यकता नहीं होगी और ग्राम स्तर पर राजनीति की स्वतः वापसी संभव हो जाएगी | यही सभी प्रधान मिलकर  क्रमशः न्याय पंचायत , ब्लाक ,जिला,राज्य तथा देश का प्रतिनिधि भी चुनेगे और सरकार बनाने का महत्वपूर्ण दायित्व निभायेगे | इससे चुनाव बिहीन राजनीतिक तथा धन विहीन आर्थिक व्यवस्था लागू हो सकेगी | तभी प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जे के मेहता के आवश्यकता विहीनता की ओर ले जाने सम्बन्धी आर्थिक सिद्दांत पर अमल हो सकेगा| इससे मानव सच्चे अर्थों मे खुशहाली के रास्ते पर चल पड़ेगा और वास्तविक प्रजातंत्र तथा रामराज्य का सुख भोगेगा |    
     

अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

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