Wednesday, July 21, 2010

सम्यक राजनीति एवं अर्थ बोध

आजकल धन और राजनीति का वर्चस्व बहुत अधिक बढ़ गया है | धन के बढे हुए वर्चस्व के कारण आज यह युग वैश्य युग बन गया प्रतीत होता है ,क्योंकि आज धन ही मूल्यांकन की कसौटी बन गयी है और धनवान की ही समाज मे सर्बाधिक प्रतिष्ठा है | परिवार मे भी कमाऊ पुत्र का ही वर्चस्व रहता है | यहाँ तक मा का स्नेह भी निस्वार्थ न रहकर पैसे की तराजू मे ही तुलता है अर्थात मा भी उसी बच्चे को सर्बाधिक प्यार करती है जो सबसे ज्यादा पैसा कमाकर लाता है | कहने का तात्पर्य यही है कि यह अर्थ युग बन गया है और इसी कारण लोगो मे धन कमाने की होड़ सी लगी हुई प्रतीत होती है | आज धन मानवीय मूल्यों ,मानवीय संबंधों तथा सामजिक स्तरीकरण का स्थापित आधार बन गयाहै | इसके कारण व्यक्तिगत ,सामाजिक और नैतिक मूल्यों मे बहुत अधिक गिरावट देखने को मिल रही है | प्रत्येक क्षेत्र मे मे इसके बिस्तार एवं प्रभाव के कारण पूरी की पूरी व्यवस्था ही संक्रमित एवं दूषित हो गयी है |राजनीति का भी प्रभाव व प्रभुत्व धन की ही तरह सर्ब व्याप्त है | प्रत्येक क्षेत्र मे राजनीति ने अपनी पैठ बनाकर अपना वर्चस्व कायम कर रखा है | इससे कोई क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है | यहाँ तक पति पत्नी के शयन कक्ष तक इसकी पहुँच संभव हो चुकी है | 
       उपरोक्त से यह स्वतः स्पष्ट है कि धन और राजनीति बर्तमान समय की सबसे बड़ी बुराईयां हैं और इन दोनों बुराईयों पर नियंत्रण पाना बहुत आवश्यक है | यह भी एक नंगा सच है कि व्यक्तिगत व सामाजिक क्षेत्र मे धन और राजनीति की साधन के रूप मे जरुरत होती है | जब तक यह दोनों साधन के रूप मे हैं हैं ,तब तक यह दोनों उपयोगी हैं | परन्तु धन व राजनीति जब साधन के बजाय साध्य बन जाती हैं ,तो ये व्यक्ति व समाज के लिए हितकर नहीं रह जाती हैं | अतयव आज इन पर नियंत्रण करना इस दृष्टि से आवश्यक है कि यह दोनों साधन के रूप मे इनकी उपयोगिता बनी रहें और यह साध्य न बनने पायें |
      व्यष्टि और समष्टिगत क्षेत्र से धन व राजनीति की वापसी लोकहित मे बहुत जरुरी है | पर यह अत्यधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है ,क्योंकि इन दोनों की जड़े बहुत गहरी हैं और सम्पूर्ण व्यवस्था को ही जकड रखा है |अतयव इन दोनों के विरुद्ध कार्यवाही होने पर व्यवस्था ही इनके साथ खड़ी हो जाएगी | अतयव इस प्रयोजन से एक नई व्यवस्था का प्रावधान करना होगा |
वैसे इस समस्या का वास्तविक समाधान है | राजनीति और धर्म की वापसी तथा साधन के रूप मे उनकी प्रतिष्ठा करना | यह एक अत्यधिक दुरूह कार्य है , क्योकि जब बुराइयों की जड़े काफी गहराई तक चली जाती हैं तो उन्हें जड़ समेत उखाड़ना बहुत कठिन हो जाता है |


अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम के लिए श्री जगन्नाथ सिंह पूर्व जिलाधिकारी, (झाँसी एवं चित्रकूट) द्वारा

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